सुहाना सफ़र और ये मौसम हसीं
हमें डर है हम खो न जाएं कहीं
ये कौन हँसता है फूलों में छुपकर _
बहार बेचैन है किसकी धुन पर
कहीं गुनगुन, कहीं रुनझुन कि जैसे नाचे ज़मीं
सुहाना सफ़र…
ये गोरी नदियों का चलना उछलकर
के जैसे अल्हड़ चले पी से iमिलकर
प्यारे-प्यारे ये नज़ारे iनिखार है हर कहीं
वो आसमां झुक रहा है ज़मीं पर
ये, मिलन हमने देखा यहीं पर
मेरी दुनिया, मेरे सपने, मिलेंगे yakinan यहीं